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तपस्या / अवतार एनगिल

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|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मां कहती है कि
कल रात मैं नींद में चीखा
और बड़बड़ाया रात भर
सैंकड़ों सफेद सीढिंयां,
सबसे नीचे की सीढ़ी पर एक मूर्ति
लिए हात हाथ में गाला काला गुलाब
वह 'मैं' बाजू फैला कर