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तपस्या / अवतार एनगिल
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04:51, 20 अप्रैल 2010
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>मां कहती है कि
कल रात मैं नींद में चीखा
और बड़बड़ाया रात भर
सैंकड़ों सफेद सीढिंयां,
सबसे नीचे की सीढ़ी पर एक मूर्ति
लिए
हात
हाथ
में
गाला
काला
गुलाब
वह 'मैं' बाजू फैला कर
सम्यक
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प्रशासक
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सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
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