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"मृत्युबोध / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल; तीन डग कविता / अवतार एनगिल
 
}}
 
}}
<poem>कहां गया वो
+
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चील की जोगिया फलियों पर
+
<poem>
मचलता चलता था जो?
+
झर गई
 +
सुबह की अंजुरी से
 +
गुनगुनी धूप
  
कहां गया वो
+
ढल चला
फुहारों नहाई सिन्दूरी सांझ संग़
+
दोपहर की धूप में
दीप-सा जलता था जो?
+
कोमल इस्पात
जाने क्या घटा
+
कि रास्तों पर उड़ते पत्ते
+
फिर से पेड़ों पर चढ़ने लगे
+
टहनियों पर उगने लगे
+
  
जाने क्या हुआ
 
कि उफनती शरारतें
 
मौन मछलियां बन
 
मथने लगी मन
 
  
जाने कब
+
रुक गई है फिर
गालों पर गिरती फुहार
+
धानी नदी की
रेन कोट ने ढक दी
+
बहती आवाज़
बोलो न बिक्रमाअर्क !
+
और टंग गई
क्यों चूक जाता है
+
आकाश के खेमे पर
सिन्दूरी साअंझ का जादू
+
एक कुतिया की चीख़ :
क्यों बच जाता है
+
जलने
+
और जलकर चुकने का एहसास ?
+
क्यों चुभ जाता है सूरज
+
शूल-सा आँख में ?
+
और आंख पर हाथ रख
+
क्यों भटक जाते हैं हम
+
इन अनजान रास्तों की भूल-भुलैयों में ?
+
 
</poem>
 
</poem>

10:25, 20 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

झर गई
सुबह की अंजुरी से
गुनगुनी धूप

ढल चला
दोपहर की धूप में
कोमल इस्पात


रुक गई है फिर
धानी नदी की
बहती आवाज़
और टंग गई
आकाश के खेमे पर
एक कुतिया की चीख़ :