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"ज़िदगी सादा–सहज हो / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर
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ज़िदगी सादा–सहज हो, कुछ बनावट कम तो हो | ज़िदगी सादा–सहज हो, कुछ बनावट कम तो हो | ||
प्यार फैले, नफ़रतों का शोर कुछ मद्धम तो हो। | प्यार फैले, नफ़रतों का शोर कुछ मद्धम तो हो। | ||
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बात हम अपने पड़ोसी से करें कैसे शुरु | बात हम अपने पड़ोसी से करें कैसे शुरु | ||
कुछ फ़जा का रंग बदले, कुछ नया मौसम तो हो। | कुछ फ़जा का रंग बदले, कुछ नया मौसम तो हो। | ||
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सीख लेंगे लोग इक दूजे पे देना जान भी | सीख लेंगे लोग इक दूजे पे देना जान भी | ||
रहनुमा के हाथ में ऐसा कोई परचम तो हो। | रहनुमा के हाथ में ऐसा कोई परचम तो हो। | ||
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मुश्किलें दिखलाएँगी खुद मंजिलों का रास्ता | मुश्किलें दिखलाएँगी खुद मंजिलों का रास्ता | ||
हौसला तो हो दिलों में, बाज़ुओं में दम तो हो। | हौसला तो हो दिलों में, बाज़ुओं में दम तो हो। | ||
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तार दिल के जोड़कर रखना ज़माने से ज़रुर | तार दिल के जोड़कर रखना ज़माने से ज़रुर | ||
जब किसी के अश्रु निकलें आँख तेरी नम तो हो। | जब किसी के अश्रु निकलें आँख तेरी नम तो हो। | ||
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20:02, 22 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
ज़िदगी सादा–सहज हो, कुछ बनावट कम तो हो
प्यार फैले, नफ़रतों का शोर कुछ मद्धम तो हो।
बात हम अपने पड़ोसी से करें कैसे शुरु
कुछ फ़जा का रंग बदले, कुछ नया मौसम तो हो।
सीख लेंगे लोग इक दूजे पे देना जान भी
रहनुमा के हाथ में ऐसा कोई परचम तो हो।
मुश्किलें दिखलाएँगी खुद मंजिलों का रास्ता
हौसला तो हो दिलों में, बाज़ुओं में दम तो हो।
तार दिल के जोड़कर रखना ज़माने से ज़रुर
जब किसी के अश्रु निकलें आँख तेरी नम तो हो।