भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शब कि वो मज़लिस-फ़रोज़े-ख़िल्वते-नामूस था / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: शब, कि वह मजलिस फ़रोज़ - ए - खल्वत - ए - नामूस था रिश्तः - ए - हर शमअ, खार - …) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | शब, कि वह मजलिस फ़रोज़ - ए - खल्वत - ए - नामूस था | + | शब, कि वह मजलिस फ़रोज़ - ए - खल्वत - ए - नामूस था |
− | रिश्तः - ए - हर शमअ, खार - ए - किस्वत - ए - फानूस था | + | <br />रिश्तः - ए - हर शमअ, खार - ए - किस्वत - ए - फानूस था |
मशहद - ए - आशिक से कोसों तक जो उगती है हिना | मशहद - ए - आशिक से कोसों तक जो उगती है हिना | ||
− | किसकदर, यारब, हलाक - ए - हसरत - ए - पबोस था | + | <br />किसकदर, यारब, हलाक - ए - हसरत - ए - पबोस था |
हासिल - ए - उल्फत ना देखा, जुज शिकस्त - ए - आरजू | हासिल - ए - उल्फत ना देखा, जुज शिकस्त - ए - आरजू | ||
− | दिल बदिल पैवस्तः, गोया इक लैब - ए - अफ़सोस था | + | <br />दिल बदिल पैवस्तः, गोया इक लैब - ए - अफ़सोस था |
क्या कहूं बीमारी - ए - ग़म कि फरागत का बयां | क्या कहूं बीमारी - ए - ग़म कि फरागत का बयां | ||
− | जो कि खाया खून - ए दिल, बेमिन्नत - ए - कीमूस था | + | <br />जो कि खाया खून - ए दिल, बेमिन्नत - ए - कीमूस था |
10:23, 27 अप्रैल 2010 का अवतरण
शब, कि वह मजलिस फ़रोज़ - ए - खल्वत - ए - नामूस था
रिश्तः - ए - हर शमअ, खार - ए - किस्वत - ए - फानूस था
मशहद - ए - आशिक से कोसों तक जो उगती है हिना
किसकदर, यारब, हलाक - ए - हसरत - ए - पबोस था
हासिल - ए - उल्फत ना देखा, जुज शिकस्त - ए - आरजू
दिल बदिल पैवस्तः, गोया इक लैब - ए - अफ़सोस था
क्या कहूं बीमारी - ए - ग़म कि फरागत का बयां
जो कि खाया खून - ए दिल, बेमिन्नत - ए - कीमूस था