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"अरुण यह मधुमय देश हमारा / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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अरुण यह मधुमय देश हमारा।
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जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।।
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सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर।
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छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा।।
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लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।
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उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़ निज प्यारा।।
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बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे करुणा जल।
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लहरें टकरातीं अनन्त की, पाकर जहाँ किनारा।।
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हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।
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अरुण यह मधुमय देश हमारा।<br>
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''' "भारत महिमा" से'''
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा॥<br>
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सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर।<br>
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उड़ते खग जिस ओर मुँह किये, समझ नीड़ निज प्यारा॥<br>
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हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।<br>
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मंदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा॥<br><br>
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संदर्भ: "भारत महिमा" से
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13:50, 28 अप्रैल 2010 का अवतरण

अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।।
सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा।।
लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।
उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़ निज प्यारा।।
बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे करुणा जल।
लहरें टकरातीं अनन्त की, पाकर जहाँ किनारा।।
हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मंदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा।।

"भारत महिमा" से