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लेखिका: [[महादेवी वर्मा]]
 
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[[Category:महादेवी वर्मा]]
 
  
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बया हमारी चिड़िया रानी।
 
 
 
तिनके लाकर महल बनाती,
 
 
ऊँची डालों पर लटकाती,
 
 
खेतों से फिर दाना लाती
 
 
नदियों से भर लाती पानी।
 
 
 
तुझको दूर न जाने देंगे,
 
 
दानों से आँगन भर देंगे,
 
 
और हौज में भर देंगे हम
 
 
मीठा-मीठा पानी।
 
 
 
फिर अंडे सेयेगी तू जब,
 
 
निकलेंगे नन्हें बच्चे तब
 
 
हम आकर बारी-बारी से
 
 
कर लेंगे उनकी निगरानी।
 
 
 
फिर जब उनके पर निकलेंगे,
 
 
उड़ जायेंगे, बया बनेंगे
 
 
हम सब तेरे पास रहेंगे
 
 
तू रोना मत चिड़िया रानी।
 
 
 
बया हमारी चिड़िया रानी।
 
 
-प्रथम आयाम
 
 
 
 
इन्दौर की छावनी में बया ही महादेवी जी की चिड़िया और उसका घोंसला ही उनके लिए कला प्रदर्शनी था। वे यह जान चुकी थीं कि उसके अंडे से बच्चे निकलेंगे, फिर जब उनके पंख निकल आयेंगे वे बया बन कर उड़ जायेंगे। वह अकेली होकर न रोये, यह उनकी चिन्ता थी। यह महादेवी जी के बचपन की रचना है।
 

20:35, 3 मार्च 2007 का अवतरण