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"माँ / नवीन सागर" के अवतरणों में अंतर

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13:12, 2 मई 2010 का अवतरण

वह दरवाजे पर है उस पार से बहुत बड़ी दुनिया पार कर के दस्‍तक जब दरवाजे पर होगी तब के लिए वह रात भर दरवाजे पर है.

वह एक भूली हुई चीज है.

भगवान के अपने लिए मौत मेरे लिए सब कुछ मॉंगती काम करती अपना अकेली घर में जब तक है घर में दिये का उजाला है.

आज मुझे उसकी याद आ रही है अभी.

मुझे अभी उसे भूल जाना है दरवाजा बंद होते ही बाहर रह जाएगी वह और दस्‍तक नहीं देगी.