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"माँ / नवीन सागर" के अवतरणों में अंतर

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वह दरवाजे पर है
 
वह दरवाजे पर है
 
उस पार से बहुत बड़ी दुनिया
 
उस पार से बहुत बड़ी दुनिया

13:13, 2 मई 2010 का अवतरण

वह दरवाजे पर है
उस पार से बहुत बड़ी दुनिया
पार कर के दस्‍तक
जब दरवाजे पर होगी
तब के लिए वह रात भर
दरवाजे पर है.

वह एक भूली हुई चीज है.

भगवान के अपने लिए मौत
मेरे लिए सब कुछ मॉंगती
काम करती अपना
अकेली घर में जब तक है
घर में दिये का उजाला है.

आज मुझे उसकी याद
आ रही है अभी.

मुझे अभी उसे भूल जाना है
दरवाजा बंद होते ही
बाहर रह जाएगी वह
और दस्‍तक नहीं देगी.