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"किसे मालूम, चेहरे कितने / कमलेश भट्ट 'कमल'" के अवतरणों में अंतर

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किसे मालूम, चेहरे कितने आख़िरकार रखता है
 
किसे मालूम, चेहरे कितने आख़िरकार रखता है
 
 
सियासतदाँ है वो, खुद़ में कई किरदार रखता है।
 
सियासतदाँ है वो, खुद़ में कई किरदार रखता है।
 
 
  
 
किसी भी साँचे में ढल जाएगा अपने ही मतलब  से
 
किसी भी साँचे में ढल जाएगा अपने ही मतलब  से
 
 
नहीं उसका कोई आकार, हर आकार रखता है।
 
नहीं उसका कोई आकार, हर आकार रखता है।
 
 
  
 
निहत्था देखने में है, बहुत उस्ताद है लेकिन
 
निहत्था देखने में है, बहुत उस्ताद है लेकिन
 
 
जेहऩ में वो हमेशा ढेर सारे वार रखता है।
 
जेहऩ में वो हमेशा ढेर सारे वार रखता है।
 
 
  
 
ज़मीं तक है नहीं पैरों के नीचे और दावा है
 
ज़मीं तक है नहीं पैरों के नीचे और दावा है
 
 
वो अपनी मुट्ठियों में बाँधकर संसार रखता है ।
 
वो अपनी मुट्ठियों में बाँधकर संसार रखता है ।
 
 
  
 
बचाने के लिए ख़ुद को, डुबो सकता है दुनिया को
 
बचाने के लिए ख़ुद को, डुबो सकता है दुनिया को
 
 
वो अपने साथ ही हरदम कई मँझधार रखता है।
 
वो अपने साथ ही हरदम कई मँझधार रखता है।
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22:48, 4 मई 2010 के समय का अवतरण

किसे मालूम, चेहरे कितने आख़िरकार रखता है
सियासतदाँ है वो, खुद़ में कई किरदार रखता है।

किसी भी साँचे में ढल जाएगा अपने ही मतलब से
नहीं उसका कोई आकार, हर आकार रखता है।

निहत्था देखने में है, बहुत उस्ताद है लेकिन
जेहऩ में वो हमेशा ढेर सारे वार रखता है।

ज़मीं तक है नहीं पैरों के नीचे और दावा है
वो अपनी मुट्ठियों में बाँधकर संसार रखता है ।

बचाने के लिए ख़ुद को, डुबो सकता है दुनिया को
वो अपने साथ ही हरदम कई मँझधार रखता है।