भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ध्वज गीत: विजयनी तेरी पताका! / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
छो
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
लेखिका: [[महादेवी वर्मा]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:महादेवी वर्मा]]
+
|रचनाकार=महादेवी वर्मा
[[Category:ध्वज गीत]]
+
|संग्रह=प्रथम आयाम / महादेवी वर्मा
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
+
 
+
'''ध्वज गीत'''
+
  
 
विजयनी तेरी पताका।
 
विजयनी तेरी पताका।

20:49, 17 नवम्बर 2007 का अवतरण

विजयनी तेरी पताका।


तू नहीं है वस्त्र तू तो

मातृ भू का ह्रदय ही है,

प्रेममय है नित्य तू

हमको सदा देती अभय है,

कर्म का दिन भी सदा

विश्राम की भी शान्त राका।

विजयनी तेरी पताका।


तू उडे तो रुक नहीं

सकता हमारा विजय रथ है

मुक्ति ही तेरी हमारे


लक्ष्य का आलोक पथ है

आँधियों से मिटा कब

तूने अमिट जो चित्र आँका!

विजयनी तेरी पताका!


छाँह में तेरी मिले शिव

और वह कन्याकुमारी,

निकट आ जाती पुरी के

द्वारिका नगरी हमारी,

पंचनद से मिल रहा है

आज तो बंगाल बाँका!


विजयनी तेरी पताका!