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"यह भी दिन बीत गया / रामदरश मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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यह भी दिन बीत गया।
 
यह भी दिन बीत गया।
पता नहीं जीवन का यह घडा
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पता नहीं जीवन का यह घड़ा
एक बूंद भरा या कि एक बूंद रीत गया।
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एक बूँद भरा या कि एक बूँद रीत गया।
  
 
उठा कहीं, गिरा कहीं, पाया कुछ खो दिया
 
उठा कहीं, गिरा कहीं, पाया कुछ खो दिया
बंधा कहीं, खुला कहीं, हंसा कहीं, रो दिया।
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बँधा कहीं, खुला कहीं, हँसा कहीं, रो दिया।
पता नहीं इन घडियों का हिया
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पता नहीं इन घड़ियों का हिया
आंसू बन ढलकाया कुल का बन गीत गया।
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आँसू बन ढलकाया कुल का बन गीत गया।
  
 
इस तट लगने वाले और कहीं जा लगे
 
इस तट लगने वाले और कहीं जा लगे
किसके ये टूटे जलयान यहां आ लगे
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किसके ये टूटे जलयान यहाँ आ लगे
 
पता नहीं बहता तट आज का
 
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एक आस यों ही बंशी डाले रह गई
 
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पता नहीं दोनों के मौन में
 
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कौन कहां हार गया, कौन कहां जीत गया।
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कौन कहाँ हार गया, कौन कहाँ जीत गया।
 
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10:20, 14 मई 2010 का अवतरण

यह भी दिन बीत गया।
पता नहीं जीवन का यह घड़ा
एक बूँद भरा या कि एक बूँद रीत गया।

उठा कहीं, गिरा कहीं, पाया कुछ खो दिया
बँधा कहीं, खुला कहीं, हँसा कहीं, रो दिया।
पता नहीं इन घड़ियों का हिया
आँसू बन ढलकाया कुल का बन गीत गया।

इस तट लगने वाले और कहीं जा लगे
किसके ये टूटे जलयान यहाँ आ लगे
पता नहीं बहता तट आज का
तोड गया प्रीति या कि जोड नए मीत गया।

एक लहर और इसी धारा में बह गई
एक आस यों ही बंशी डाले रह गई
पता नहीं दोनों के मौन में
कौन कहाँ हार गया, कौन कहाँ जीत गया।