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22:10, 20 मई 2010 का अवतरण
उजालों की परियाँ

रचनाकार | बशीर बद्र |
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प्रकाशक | डायमंड पाकेट बुक |
वर्ष | |
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विषय | |
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विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- न जी भर के देखा न कुछ बात की / बशीर बद्र
- सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा / बशीर बद्र
- मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो / बशीर बद्र
- लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में / बशीर बद्र
- आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा / बशीर बद्र
- जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे / बशीर बद्र
- हर जनम में उसी की चाहत थे / बशीर बद्र
- वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है / बशीर बद्र
- यूँ ही बेसबब न फिरा करो / बशीर बद्र
- मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला / बशीर बद्र
- सोचा नहीं अच्छा-बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं / बशीर बद्र
- कभी यूँ भी आ / बशीर बद्र
- रात इक ख़्वाब हमने देखा है / बशीर बद्र
- सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में / बशीर बद्र
- दिल छलक उठा आँख भर आई / बशीर बद्र
- अब किसे चाहें किसे ढूँढा करें / बशीर बद्र