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"हुआ प्यार का यह असर मिलते-मिलते / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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कि झुकने लगी है नज़र मिलते-मिलते | कि झुकने लगी है नज़र मिलते-मिलते |
01:24, 21 मई 2010 का अवतरण
हुआ प्यार का यह असर मिलते-मिलते
कि झुकने लगी है नज़र मिलते-मिलते
हटा रुख से परदा न बेगानेपन का
कोई रह गया उम्र भर मिलते-मिलते
न था दिल का कोई खरीदार तो क्या!
चले सबसे हम राह पर मिलते-मिलते
नहीं खेल है उनकी आँखों को पढ़ना
कि मिलती है दिल की खबर मिलते-मिलते
गुलाब! आप कितनी भी खुशबू छिपायें
नज़र कह गयी कुछ मगर मिलते-मिलते