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"ईमान गड़बड़ी में है / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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ईमान गड़बड़ी में है दिल के हिसाब में | ईमान गड़बड़ी में है दिल के हिसाब में | ||
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लिक्खा हुआ कुछ और मिला है किताब में | लिक्खा हुआ कुछ और मिला है किताब में | ||
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दिल जिनमें ढूंढ़्ता था कभी अपनी दास्ताँ | दिल जिनमें ढूंढ़्ता था कभी अपनी दास्ताँ | ||
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वो सुख़ियाँ कहाँ हैं मुहब्बत के बाब में! | वो सुख़ियाँ कहाँ हैं मुहब्बत के बाब में! | ||
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ऎ दिलेनवाज़ पहलू ही जब दिल के और हों, | ऎ दिलेनवाज़ पहलू ही जब दिल के और हों, | ||
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क्या ख़िलवतों में लुत्फ़ धरा क्या हिजाब में! | क्या ख़िलवतों में लुत्फ़ धरा क्या हिजाब में! | ||
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उस आस्ताँ तक हमको बहारों में ले के जाओ | उस आस्ताँ तक हमको बहारों में ले के जाओ | ||
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जिस पर कोई शहीद हुआ हो शबाब में! | जिस पर कोई शहीद हुआ हो शबाब में! | ||
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01:17, 25 मई 2010 के समय का अवतरण
ईमान गड़बड़ी में है दिल के हिसाब में
लिक्खा हुआ कुछ और मिला है किताब में
दिल जिनमें ढूंढ़्ता था कभी अपनी दास्ताँ
वो सुख़ियाँ कहाँ हैं मुहब्बत के बाब में!
ऎ दिलेनवाज़ पहलू ही जब दिल के और हों,
क्या ख़िलवतों में लुत्फ़ धरा क्या हिजाब में!
उस आस्ताँ तक हमको बहारों में ले के जाओ
जिस पर कोई शहीद हुआ हो शबाब में!
रचनाकाल : 1943