भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बाला सुन्दर हाला घट भर / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)
 
छो ("बाला सुन्दर हाला घट भर / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

18:31, 27 मई 2010 के समय का अवतरण

बाला सुंदर, हाला घट-भर,
उमर हमारे प्रिय सहचर नित!
उर का सुख दीपक बन हँसमुख
सुहृद् सभा करता आलोकित!
प्रेम अशन, आनन्द वसन,
तन पुलक-अंकुरित, हृदय-उल्लसित,
जो कुछ प्रियतर, सुखद मनोहर
सखे, हमारे लिए विनिर्मित!