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20:21, 27 मई 2010 का अवतरण
हम तो गा कर मुक्त हुये
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रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | गीत |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
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- हम तो गाकर मुक्त हुए/ गुलाब खंडेलवाल
- कोयल की कुहक का यहीं अंत है / गुलाब खंडेलवाल
- मैंने सातों सुर साधे हैं / गुलाब खंडेलवाल
- मैं आँधी का तिनका / गुलाब खंडेलवाल
- कितनी भूलें नाथ! गिनाऊँ!/ गुलाब खंडेलवाल
- जीवन तो केवल प्रवाह है / गुलाब खंडेलवाल
- कौन-सी पहिचान होगी? / गुलाब खंडेलवाल
- जब भी कलम हाथ से छोड़ी/ गुलाब खंडेलवाल
- मैंने दर्पण तोड़ दिया है / गुलाब खंडेलवाल
- कोयल पंचम सुर में बोली / गुलाब खंडेलवाल
- कौन अब सुनेगा ये गीत!/ गुलाब खंडेलवाल
- बरसों हे अंबर के दानी/ गुलाब खंडेलवाल
- मेरी वीणा, तान तुम्हारी / गुलाब खंडेलवाल
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