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"सुनता हूँ रमजान माह का / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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18:18, 28 मई 2010 के समय का अवतरण
सुनता हूँ रमजान माह का
उदय हुआ अब पीला चाँद,
मदिरालय की गलियों में अब
फिर न सकूँगा कर फ़रियाद!
मैं जी भर शाबान महीने
पीलूँगा मदिरा इतनी,
पड़ा रहूँ अलमस्त ईद तक
रहे न रोज़ों की भी याद!