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"इस दु:ख का मैं क्या करूं / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर
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क्यों बार-बार आता है | क्यों बार-बार आता है |
16:20, 6 जून 2010 के समय का अवतरण
ये दु:ख मेरे पास
क्यों बार-बार आता है
इस दु:ख से मेरा क्या रिश्ता है
क्यों मेरे पास
ये बार-बार लौट आता है
मेरी खुशियों की फुंनगियों पर
नागफनी-सा खिल जाता है
इस दु:ख का मैं क्या करूं
इसे चिहुंक कर गले लगा लूं
या इससे डरूं
इसे मौत का अवसाद मानूं
या जीवन का हथियार
क्यों आता है बार-बार
इस दु:ख पर मुझे प्यार
रचनाकाल:1995