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"वह विजन चाँदनी की घाटी / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

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::वह विजन चाँदनी की घाटी
 
::वह विजन चाँदनी की घाटी
 
::छाई मृदु वन-तरु-गन्ध जहाँ,
 
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::नीबू-आड़ू के मुकुलों ले
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::नीबू-आड़ू के मुकुलों के
 
::मद से मलयानिल लदा वहाँ!
 
::मद से मलयानिल लदा वहाँ!
 
सौरभ-श्लथ हो जाते तन-मन,
 
सौरभ-श्लथ हो जाते तन-मन,

13:16, 10 जून 2010 का अवतरण

वह विजन चाँदनी की घाटी
छाई मृदु वन-तरु-गन्ध जहाँ,
नीबू-आड़ू के मुकुलों के
मद से मलयानिल लदा वहाँ!
सौरभ-श्लथ हो जाते तन-मन,
बिछते झर-झर मृदु सुमन-शयन,
जिन पर छन, कम्पित पत्रों से,
लिखती कुछ ज्योत्सना जहाँ-तहाँ!
आ कोकिल का कोमल कूजन,
उकसाता आकुल उर-कम्पन,
यौवन का री वह मधुर स्वर्ग,
जीवन बाधाएँ वहाँ कहाँ?

रचनाकाल: मई’१९३५