भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अँधियाली घाटी में / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ("अँधियाली घाटी में / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(कोई अंतर नहीं)

13:23, 10 जून 2010 के समय का अवतरण

अँधियाली घाटी में सहसा
हरित स्फुलिंग सदृश फूटा वह!
वह उड़ता दीपक निशीथ का,--
तारा-सा आकर टूटा वह!
जीवन के इस अन्धकार में
मानव-आत्मा का प्रकाश-कण
जग सहसा, ज्योतित कर देता
मानस के चिर गुह्य कुंज-वन!

रचनाकाल: मई’१९३५