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"लोग / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर

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03:52, 11 जून 2010 का अवतरण

भीगे रुमाल हिलाते लोग,
सूखे मन ले जाते लोग|

होंठों पर षड्यंत्री चुप्पी,
मन की गाँठ दिखाते लोग|

चंदा जाए झूलाघर तो,
घर झूला ला पाते लोग|

आपनी अपनी पीर लिए सब,
रोते लोग रुलाते लोग|

शुद्ध गणित की भाषा मे अब,
गीत गज़ल भी गाते लोग |