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"‘रेप’ बड़की हुई, मगर, घर में / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर
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रेप बड़की हुई मगर घर में | रेप बड़की हुई मगर घर में | ||
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बूढ़े माँ-बाप ‘गाँव’ लगते हैं | बूढ़े माँ-बाप ‘गाँव’ लगते हैं | ||
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झुक गया है पिता का स्वर घर में | झुक गया है पिता का स्वर घर में | ||
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व्यर्थ तू झाँकता है घर-घर में | व्यर्थ तू झाँकता है घर-घर में | ||
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12:42, 11 जून 2010 के समय का अवतरण
रेप बड़की हुई मगर घर में
घुस गया है अजीब डर घर में
बूढ़े माँ-बाप ‘गाँव’ लगते हैं
जब से बच्चे हुए शहर घर में
छोटी ननदी की आँख लड़ने की
सिर्फ़ भाभी को है खबर घर में
जब से अफसर बना बड़ा बेटा
झुक गया है पिता का स्वर घर में
सबके चूल्हे हैं,यार, मिट्टी के
व्यर्थ तू झाँकता है घर-घर में