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20:42, 11 जून 2010 के समय का अवतरण

आज कल जिसके पास दौलत है
सच तो ये है उसी की इज्जत है।

एक गिरती हुई इमारत है
यह वतन , नाम जिसका भारत है।

आप ख़ुद चल के आए मेरे पास
बोलिए ऐसी क्या जरूरत है।

सबको सच्चाई का पता है मगर
किसमे सच बोलने की हिम्मत है।

मुल्क से मैं भी प्यार करता हूँ
हाँ , मेरे साथ , ये बुरी लत है।

किसका चेहरा है मेरे चेहरे पर
आइने में अजीब सूरत है।