भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कालीबंगा: कुछ चित्र-6 / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित कागद }} {{KKCatKavita}} <poem> इतने ऊँचे आले में कौ…)
 
छो (कालीबंगा: कुछ चित्र-6 / ओम पुरोहित कागद का नाम बदलकर कालीबंगा: कुछ चित्र-6 / ओम पुरोहित ‘कागद’ कर दिया )
 
(कोई अंतर नहीं)

23:57, 11 जून 2010 के समय का अवतरण

इतने ऊँचे आले में
कौन रखता है पत्थर
घड़कर गोल-गोल

सार भी क्या था
सार था
घरधणी के संग
मरण में।

ये अंडे हैं
आलणे में रखे हुए
जिनसे
नहीं निकल सके
बच्चे

कैसे बचते पंखेरू
जब मनुष्य ही
नहीं बचे।


राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा