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"इक नयी कशमकश से गुजरते रहे / ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर
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15:18, 13 जून 2010 का अवतरण
इक नई कशमकश से गुज़रते रहे रोज़ जीते रहे रोज़ मरते रहे
हमने जब भी कही बात सच्ची कही इसलिए हम हमेशा अखरते रहे
कुछ न कुछ सीखने का ही मौक़ा मिला हम सदा ठोकरों से सँवरते रहे
रूप की कल्पनाओं में दुनिया रही खुशबुओं की तरह तुम बिखरते रहे
जिंदगी की परेशानियों से “यती” लोग टूटा किये , हम निखरते रहे