गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
रावण / दीनदयाल शर्मा
2 bytes added
,
13:26, 13 जून 2010
रूप राम का धरकर कोई,
अगनी बाण
अग्निबाण
चलाए।
धू-धू करके राख हो गया,
नकली रावण हाय!
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits