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रावण / दीनदयाल शर्मा

2 bytes added, 13:26, 13 जून 2010
रूप राम का धरकर कोई,
अगनी बाण अग्निबाण चलाए।
धू-धू करके राख हो गया,
नकली रावण हाय!
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