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"धनक-धनक मेरी पोरों के ख़्वाब कर देगा / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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20:51, 14 जून 2010 के समय का अवतरण

धनक धनक मिरी पोरों के ख़्वाब कर देगा
वो लम्स मेरे बदन को गुलाब कर देगा

क़बा ए जिस्म के हर तार से गुज़रता हुआ
किरन का प्यार मुझे आफताब कर देगा

जुनूँ पसंद है दिल और तुझ तक आने में
बदन को नाव लहू को चिनाब कर देगा

मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगी
वो झूठ बोलेगा और लाजवाब कर देगा