भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शाम / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=विजय वाते |संग्रह= ग़ज़ल / विजय वाते }} {{KKCatGhazal}} <poem> दिन बीत…)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:18, 15 जून 2010 के समय का अवतरण

दिन बीता चौपाया पंछी सी शाम
थकी थकी घर लौटी दफ्तर सी शाम

रोशन थी चंदा की लदकद से आँख
सारा दिन तरसी थी ममता की शाम

कद भर था साया काँधे थी धूप
कुछ कुछ वो हल्की थी कुछ भारी शाम

अलसाई सुबह थी उकताया दिन
दरवाज़ा तकती थी सूरज की शाम

धरती का साया झुलसाया इतराया
चम चम चम सूरज की टिमटिम सी शाम