भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उठाये जा उनके सितम और जिए जा / मजरूह सुल्तानपुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
वीनस केशरी (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मजरूह सुल्तानपुरी }} Category:ग़ज़ल<poem> उठाये जा उनके…) |
वीनस केशरी (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
[[Category:ग़ज़ल]]<poem> | [[Category:ग़ज़ल]]<poem> | ||
− | उठाये जा उनके | + | उठाये जा उनके सितम और जिए जा |
यों ही मुस्कुराए जा आंसू पिये जा | यों ही मुस्कुराए जा आंसू पिये जा | ||
01:59, 15 जून 2010 के समय का अवतरण
उठाये जा उनके सितम और जिए जा
यों ही मुस्कुराए जा आंसू पिये जा
यही है मुहब्बत का दस्तूर ए दिल
वो गम दें तुझे तु दुआएं दिये जा
कभी वो नजर जो समाई थी दिल में
उसी एक नज़र का सहारा लिए जा
सताए ज़माना सितम ढाए दुनिया
मगर तू किसी की तमन्ना किये जा