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"चारागर हार गया हो जैसे / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
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दिल ही दिल में वो ख़फ़ा हो जैसे | दिल ही दिल में वो ख़फ़ा हो जैसे | ||
12:22, 16 जून 2010 के समय का अवतरण
चारागर हार गया हो जैसे
अब तो मरना ही दवा हो जैसे
मुझसे बिछड़ा था वो पहले भी मगर
अब के ये ज़ख्म नया हो जैसे
मेरे माथे पे तेरे प्यार का हाथ
रूह पर दस्त ए सबा हो जैसे
यूँ बहुत हँस के मिला था लेकिन
दिल ही दिल में वो ख़फ़ा हो जैसे
सर छुपाएँ तो बदन खुलता है
ज़ीस्त मुफ़लिस की रिदा हो जैसे