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"लम्हों की / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर

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09:59, 19 जून 2010 का अवतरण

भीख लम्हों की, प्यास लम्हों की|
ये कहानी है खास लम्हों की|

मेरी गोदी मई चांद लेटा है,
मेरी चादर उदास लम्हों की|

सात घोडे हैं, एक रास्ता है,
किसने थमी है रास लम्हों की

उफ़ गज़ब की ये जानलेवा हैं,
दस्तकें आस-पास लम्हों की|

बात मत कर 'विजय' रिहाई की,
जिंदगानी है दास लम्हों की|