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"लम्हों की / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर
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10:06, 19 जून 2010 के समय का अवतरण
भीख लम्हों की, प्यास लम्हों की|
ये कहानी है खास लम्हों की|
मेरी गोदी में चांद लेटा है,
मेरी चादर उदास लम्हों की|
सात घोड़े
हैं, एक रस्ता है,
किसने थमी है रास लम्हों की
उफ़ गज़ब की ये जानलेवा हैं,
दस्तकें आस-पास लम्हों की|
बात मत कर 'विजय' रिहाई की,
जिंदगानी है दास लम्हों की|