भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बिजली का बल्ब / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=151 बाल-कविताएँ / रमेश कौशिक }} {{KKC…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:42, 23 जून 2010 के समय का अवतरण
बिजली का बल्ब
फूँक मार कर मुझे
बुझाने की कोशिश बेकार
मैं छोटा सूरज हूँ
मुझसे डरता है अँधियार्।
आती शाम डूबता सूरज
सब कुछ-काला
एक बटन दबते ही घर में
हो जाता उजियाला।