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"सच सूर्य है / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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'''क्यों मरोगे'''<br /><br /><br />सच कहोगे<br />सच के सिवा कुछ न कहोगे<br />जानते हो <br />सच सूर्य है<br />कहोगे तो जल मरोगे<br /><br />सच के सिवा <br />सब कुछ कहोगे<br />जानता हूं<br />नाहक क्यों मरोगे।<br /><poem>
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* [[क्यों मरोगे? / रमेश कौशिक]]

21:39, 23 जून 2010 के समय का अवतरण

सच सूर्य है
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रचनाकार रमेश कौशिक
प्रकाशक पराग प्रकाशन,3/114 कर्ण गली, विश्वासनगर, शाहदरा, दिल्ली- 110032
वर्ष 1979
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
विधा
पृष्ठ 95
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।