"पगडंडियाँ / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डा० मनोज श्रीवास्तव }} {{KKPustak |चित्र= |नाम=पगडंडि…) |
|||
| पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
[[काश, कविताएं हादसा होतीं]] | [[काश, कविताएं हादसा होतीं]] | ||
| + | [[जिनके जलते हैं पुतले ]] | ||
| + | [[जब मैं पैदा हुआ था ]] | ||
| + | [[घर की लौंडिया नहीं है क्रान्ति ]] | ||
| + | [[इतना कुछ होता है यहां ]] | ||
| + | [[प्लेटफार्म पर प्रतीक्षा में ]] | ||
| + | [[मेरी मौत के बाद ]] | ||
| + | [[चाहता हूँ पागल भीड़ ]] | ||
| + | [[जागृति]] | ||
| + | [[अमरीकी दुम]] | ||
| + | [[बम मिला]] | ||
| + | [[शहर के कदमों पर मरती नदी का विलाप]] | ||
| + | [[लड़की, लाश और कूड़ा]] | ||
| + | [[पहाड़ों में आतंक ]] | ||
| + | [[पक्षी और युद्ध ]] | ||
| + | [[घाव]] | ||
| + | [[प्लेटफार्म के भिखमंगे]] | ||
| + | [[कवि-कुत्ते]] | ||
| + | [[जब छुट्टी पर घर जाऊंगा ]] | ||
| + | [[मुझे लग गया है]] | ||
| + | [[बंधन ]] | ||
| + | [[स्कायस्कोप]] | ||
| + | [[बचपन]] | ||
| + | [[राजभवन में कुत्ता ]] | ||
| + | [[सत्य ]] | ||
| + | [[बेकारी]] | ||
| + | [[अंतर का पत्थर ]] | ||
| + | [[भोर की कटोरी]] | ||
| + | [[दु:ख ]] | ||
| + | [[सुरक्षा कवच]] | ||
| + | [[वहम]] | ||
| + | [[अच्छी कविताओं का हश्र]] | ||
| + | [[आश्वस्ति]] | ||
| + | [[प्रताडिता ]] | ||
| + | [[संगीन जुर्म]] | ||
| + | [[धौंस]] | ||
| + | [[दीमक]] | ||
| + | [[सबक]] | ||
| + | [[तृप्ति]] | ||
| + | [[पुरुष]] | ||
| + | [[दरवाज़े पर आ बैठा वसंत]] | ||
| + | [[पत्नी-१. गृह प्रवेश पर ]] | ||
| + | [[पत्नी-२. पति की मृत्यु पर]] | ||
| + | [[भगवान का उद्व्रजन ]] | ||
| + | [[बेशर्म कहानियां]] | ||
| + | [[अंदर का आदमी]] | ||
15:50, 1 जुलाई 2010 का अवतरण

कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
| रचनाकार | डा० मनोज श्रीवास्तव |
|---|---|
| प्रकाशक | नेशनल पब्लिशिन्ग हाउस |
| वर्ष | 2000 |
| भाषा | हिन्दी |
| विषय | कविताएँ |
| विधा | |
| पृष्ठ | 100 |
| ISBN | |
| विविध |
काश, कविताएं हादसा होतीं
जिनके जलते हैं पुतले
जब मैं पैदा हुआ था
घर की लौंडिया नहीं है क्रान्ति
इतना कुछ होता है यहां
प्लेटफार्म पर प्रतीक्षा में
मेरी मौत के बाद
चाहता हूँ पागल भीड़
जागृति
अमरीकी दुम
बम मिला
शहर के कदमों पर मरती नदी का विलाप
लड़की, लाश और कूड़ा
पहाड़ों में आतंक
पक्षी और युद्ध
घाव
प्लेटफार्म के भिखमंगे
कवि-कुत्ते
जब छुट्टी पर घर जाऊंगा
मुझे लग गया है
बंधन
स्कायस्कोप
बचपन
राजभवन में कुत्ता
सत्य
बेकारी
अंतर का पत्थर
भोर की कटोरी
दु:ख
सुरक्षा कवच
वहम
अच्छी कविताओं का हश्र
आश्वस्ति
प्रताडिता
संगीन जुर्म
धौंस
दीमक
सबक
तृप्ति
पुरुष
दरवाज़े पर आ बैठा वसंत
पत्नी-१. गृह प्रवेश पर
पत्नी-२. पति की मृत्यु पर
भगवान का उद्व्रजन
बेशर्म कहानियां
अंदर का आदमी
