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पगडंडियाँ / मनोज श्रीवास्तव
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पगडंडियाँ
रचनाकार | मनोज श्रीवास्तव |
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प्रकाशक | नेशनल पब्लिशिन्ग हाउस |
वर्ष | 2000 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | प्रगतिशील--तुकान्त/अतुकान्त
(आवरण पर कलाकृति स्वयं रचनाकार द्वारा) |
पृष्ठ | 100 |
ISBN | 81-85478-67-8 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- काश, कवितायेँ हादसा होतीं / मनोज श्रीवास्तव
- पगडंडियाँ (कविता) / मनोज श्रीवास्तव
- सुकून / मनोज श्रीवास्तव
- पलायन / मनोज श्रीवास्तव
- बच्चे बलात्कार करेंगे / मनोज श्रीवास्तव
- जब मर्द बच्चे जनेंगे / मनोज श्रीवास्तव
- आदमखोर / मनोज श्रीवास्तव
- चक्रवात / मनोज श्रीवास्तव
- कविता! तुम आवारा हो गई हो / मनोज श्रीवास्तव
- निराकार सत्य / मनोज श्रीवास्तव
- गोश्तखोर / मनोज श्रीवास्तव
- आखिर कब तक / मनोज श्रीवास्तव
- महानगर में सवेरा / मनोज श्रीवास्तव
- औक़ात / मनोज श्रीवास्तव
- दूरदर्शन लोक / मनोज श्रीवास्तव
- दबे पाँव आई हो / मनोज श्रीवास्तव
- संगीतमय भीड़ / मनोज श्रीवास्तव
- इक्कीसवीं सदी का भविष्य / मनोज श्रीवास्तव
- निरीह सपने / मनोज श्रीवास्तव
- महाप्रलय / मनोज श्रीवास्तव
- नंगी लड़की / मनोज श्रीवास्तव
- बोध / मनोज श्रीवास्तव
- आइए, कुछ नया करें / मनोज श्रीवास्तव
- ज़िंदगी / मनोज श्रीवास्तव
- शब्बो / मनोज श्रीवास्तव
- आमंत्रण / मनोज श्रीवास्तव
- मुक्ति की छटपटाहट / मनोज श्रीवास्तव
- गर्व / मनोज श्रीवास्तव
- वह / मनोज श्रीवास्तव
- नाम / मनोज श्रीवास्तव
- खरे उतरते लोग / मनोज श्रीवास्तव
- लाल किला / मनोज श्रीवास्तव
- महका है मन (गीत) / मनोज श्रीवास्तव