भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नीमख़ाबी / गोबिन्द प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: हुस्न का दरिया चढ़ता है आँखों में यादों की नदी उमड़ती है- अँधेरा ह…)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:48, 4 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

हुस्न का दरिया चढ़ता है आँखों में यादों की नदी उमड़ती है- अँधेरा है अकेला हूँ,शहर से दूर नीमख़ाबी में,कहीं ठिठकता आसमाँ बेनूर ख़ामोश रात भी सिसकती थके क़दम सुब्हद की जानिब बढ़ती है यादों की नदी उमड़ती है