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"राज अपने तुमको बताती गयी / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

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दुनिया मैं अपनी बसाती गयी ।
 
Categories: कविताएँ | भावना कुँअर
 

00:27, 3 मई 2007 का अवतरण

रचनाकार: भावना कुँअर

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राज अपने तुमको बताती गयी

नजदीक दिल के यूँ आती गयी ।


हर दम रहता तेरा ही ख्याल

यूँ ख्वाब तेरे सजाती गयी ।


बंदिश तो न थी तेरे प्यार में

बन्धन में कैसे समाती गयी ?


मंजिल को पाने की ही चाह में

कदमों को अपने बढ़ाती गयी ।


तुम जो मिले ज़िदंगी में प्रिये

दुनिया मैं अपनी बसाती गयी ।