भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"राज अपने तुमको बताती गयी / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: रचनाकार: भावना कुँअर ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ राज अपने तुमको बताती गयी नजदीक द...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | रचनाकार: भावना कुँअर | + | रचनाकार: [[भावना कुँअर]] |
+ | [[Category: कविताएँ]] | ||
+ | [[Category: भावना कुँअर]] | ||
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ | ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 29: | ||
दुनिया मैं अपनी बसाती गयी । | दुनिया मैं अपनी बसाती गयी । | ||
− | |||
− |
00:27, 3 मई 2007 का अवतरण
रचनाकार: भावना कुँअर
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
राज अपने तुमको बताती गयी
नजदीक दिल के यूँ आती गयी ।
हर दम रहता तेरा ही ख्याल
यूँ ख्वाब तेरे सजाती गयी ।
बंदिश तो न थी तेरे प्यार में
बन्धन में कैसे समाती गयी ?
मंजिल को पाने की ही चाह में
कदमों को अपने बढ़ाती गयी ।
तुम जो मिले ज़िदंगी में प्रिये
दुनिया मैं अपनी बसाती गयी ।