भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्यों कर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़ / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: रचनाकार: ग़ालिब Category:कविताएँ Category:गज़ल Category:ग़ालिब ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* क...)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[ग़ालिब]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:गज़ल]]
+
|रचनाकार=ग़ालिब
[[Category:ग़ालिब]]
+
}}
 
+
[[Category:ग़ज़ल]]
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
+
  
 
क्योंकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़<br>
 
क्योंकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़<br>

20:13, 27 जनवरी 2008 के समय का अवतरण

क्योंकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़
क्या नहीं है मुझे ईमान अज़ीज़

दिल से निकला प न निकला दिल से
है तेरे तीर का पैकान अज़ीज़

ताब लाये ही बनेगी 'ग़लिब'
बाक़िआ सख़्त है और जान अज़ीज़