भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लै बदनामी कलंकिनि होइ चवाइन / भारतेंदु हरिश्चंद्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र }} {{KKCatKavita}} <poem> लै बदनामी कलंक…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("लै बदनामी कलंकिनि होइ चवाइन / भारतेंदु हरिश्चंद्र" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:53, 10 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
लै बदनामी कलंकिनि होइ चवाइन
को कब लौं मुख चाहिए ।
सासु जेठानिन की इनकी उनकी
कब लौं सहि कै जिय दाहिए ।
ताहु पै एति रुखाई पिया 'हरिचंद'
की हाय न क्यौंहूँ सराहिए ।
का करिए मरिए केहि भाँतिन नेह
को नातो कहाँ लौं निबाहिए ।