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"एक देवता का अनैतिक प्रेम-व्यापार / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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+ | तुम्हारे प्रेमादर्श प्रतिमान | ||
+ | उघारे-निहारे हैं अबोध अल्हणियों | ||
+ | साध्वी पतिव्रता गृहणियों | ||
+ | और छलकती ग्वालिनों संग | ||
+ | तुम्हारे बहुकोणीय प्रेमालिंगनरत प्रसंग |
13:15, 19 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
एक देवता का अनैतिक प्रेम-व्यापार
हे महामानव!
कर्मयोगियों ने गुंजारे हैं
तुम्हारे प्रेमयोग के प्रशस्तिगान,
उतारे हैं निज जीवन में
तुम्हारे प्रेमादर्श प्रतिमान
उघारे-निहारे हैं अबोध अल्हणियों
साध्वी पतिव्रता गृहणियों
और छलकती ग्वालिनों संग
तुम्हारे बहुकोणीय प्रेमालिंगनरत प्रसंग