भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"धरती माता / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: धन्य धन्य हे धरती माता तुमसे ही जग जीवन पाता।. धन्य धन्य हे धरती …)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
  धन्य धन्य हे धरती माता
+
{{KKGlobal}}
तुमसे ही जग जीवन पाता।.
+
{{KKRachna
धन्य धन्य हे धरती माता ।।
+
|रचनाकार= शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
पृथिवी धरणी अवनि भू धरा
+
|संग्रह=
भूमि रत्नगर्भा वसुन्धरा
+
}}
गन्धवती क्षिति शस्य श्यामला
+
{{KKCatKavita‎}}
जननी विविध नाम विख्याता।।
+
<Poem> 
धन्य धन्य हे धरती माता ।।
+
धन्य-धन्य हे धरती माता
अन्न पुष्प फल वृक्ष मनोहर
+
तुमसे ही जग जीवन पाता ।
सरित सरोवर सागर निर्झर
+
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।
स्वर्ग छोड़ करके ईश्वर भी
+
 
तेरी ही गोदी में आता।।
+
पृथिवी धरणी अवनि भू धरा
धन्य धन्य हे धरती माता ।।
+
भूमि रत्नगर्भा वसुन्धरा
जल पावक समीर आकाशा
+
गन्धवती क्षिति शस्य श्यामला
गन्ध रूप रस शब्द स्पर्शा
+
जननी विविध नाम विख्याता ।
  सब पदार्थ तेरे आँचल में
+
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।
जो जन जो चाहे पा जाता।
+
 
धन्य धन्य हे धरती माता ।।
+
अन्न पुष्प फल वृक्ष मनोहर
 +
सरित सरोवर सागर निर्झर
 +
स्वर्ग छोड़ करके ईश्वर भी
 +
तेरी ही गोदी में आता ।
 +
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।
 +
 
 +
जल पावक समीर आकाशा
 +
गन्ध रूप रस शब्द स्पर्शा
 +
सब पदार्थ तेरे आँचल में
 +
जो जन जो चाहे पा जाता ।
 +
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।
 +
</poem>

00:04, 20 जुलाई 2010 का अवतरण

  
धन्य-धन्य हे धरती माता
तुमसे ही जग जीवन पाता ।
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।

पृथिवी धरणी अवनि भू धरा
भूमि रत्नगर्भा वसुन्धरा
गन्धवती क्षिति शस्य श्यामला
जननी विविध नाम विख्याता ।
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।

अन्न पुष्प फल वृक्ष मनोहर
सरित सरोवर सागर निर्झर
स्वर्ग छोड़ करके ईश्वर भी
तेरी ही गोदी में आता ।
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।

जल पावक समीर आकाशा
गन्ध रूप रस शब्द स्पर्शा
सब पदार्थ तेरे आँचल में
जो जन जो चाहे पा जाता ।
धन्य-धन्य हे धरती माता ।।