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जरूरतों में ढल जाता दिन  
 
जरूरतों में ढल जाता दिन  
 
अस्पताल के किसी वार्ड सी   
 
अस्पताल के किसी वार्ड सी   
घर में साडी उम्र बितानी   
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घर में सारी उम्र बितानी   
 
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10:08, 29 जुलाई 2010 का अवतरण

ताराप्रकाश जोशी
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जीवन परिचय
ताराप्रकाश जोशी / परिचय
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Mera Vaitan

मेरा वेतन
 
मेरा वेतन ऐसे रानी
जैसे गरम तवे पे पानी
 
एक कसैली कैंटीन से
थकन उदासी का नाता है
वेतन के दिन सा ही निश्चित
पहला बिल उसका आता है
हर उधार की रीत उम्र सी
जो पाई है सो लौटानी
 
दफ्तर से घर तक है फैले
कर्जदाताओं के गर्म तकाजे
ओछी फटी हुई चादर में
एक ढकु तो दूजी लाजे
कर्जा लेकर क़र्ज़ चुकाना
अंगारों से आग भुजानी
 
फीस,ड्रेस,कॉपिया,किताबें
आंगन में आवाजें अनगिन
जरूरतों से बोझिल उगता
जरूरतों में ढल जाता दिन
अस्पताल के किसी वार्ड सी
घर में सारी उम्र बितानी
[baki hai]