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"आहत है स्वप्न का गगन / आनंद कुमार ‘गौरव’" के अवतरणों में अंतर

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::बिन बरसे काला बादल
 
::बिन बरसे काला बादल
 
   
 
   
युग हुए न लौटे घर हम
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::::युग हुए न लौटे घर हम
हो गए छलावे मौसम
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::::हो गए छलावे मौसम
नून छिड़कती जख़्मों पर
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::::नून छिड़कती जख़्मों पर
सावनी सुरीली सरगम
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::::सावनी सुरीली सरगम
सोच हो गई मधुशाला
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::::सोच हो गई मधुशाला
चाहना रही गंगाजल
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::::चाहना रही गंगाजल
 
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21:35, 29 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

आहत है स्वप्न का गगन
चेहरा है बिखरा काजल
 
हृदय नेह का सागर है
दृष्टि मेघमय गागर है
जब से चैतन्य मन हुआ
पल-पल जैसे चाकर है
चित्र में प्रविष्ट हो गया
बिन बरसे काला बादल
 
युग हुए न लौटे घर हम
हो गए छलावे मौसम
नून छिड़कती जख़्मों पर
सावनी सुरीली सरगम
सोच हो गई मधुशाला
चाहना रही गंगाजल