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"जीवन दुख से भार न होता / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे" के अवतरणों में अंतर
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23:15, 30 जुलाई 2010 का अवतरण
जीवन दुःख से भार न होता काश हृदय में प्यार न होता
प्यार बिना मन कैसे खिलता फिर किससे कोई क्यों मिलता मिलता जब न बिछुड़ता कैसे तब क्यों कर होती व्याकुलता निपट अकेले भवसागर में माँझी बिन पतवार होता काश हृदय में प्यार न होता
करता कौन प्यार की बातें खलती नहीं जागती रातें क्यो दिल के विश्वास टूटते होती न आँसू की बरसातें जख्म लिये दिन रात रुलाने कोई वेवफा यार न होता काश हृदय में प्यार न होता
सारा जीवन भ्रम में बीता सपनों में हारा या जीता भरता रहा निरन्तर फिर भी मन का घट रीता का रीता तड़फ तड़फ कर जिन्दा रहने यह तन कारागार न होता काश हृदय में प्यार न होता
लोग किसी के घर क्यों जाते नहीं बनाते रिश्ते नाते स्वयं बनाये सम्बन्धों की नहीं फर्ज की रश्म निभाते खोज खोज दुख पहुँचाने को कोई रिश्तेदार न होता काश हृदय में प्यार न होता