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"इश्क़ से तबियत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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− | दर्द की दवा पायी, दर्द बेदवा पाया । | + | दर्द की दवा पायी, दर्द बेदवा पाया ।<br /> |
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− | हमने बारहा ढूँढा तुमने बारहा पाया । | + | हमने बारहा ढूँढा तुमने बारहा पाया ।<br /> |
− | शोरे-पन्दे-नासेह ने ज़ख्म पर नामक छिड़का, | + | शोरे-पन्दे-नासेह ने ज़ख्म पर नामक छिड़का,<br /> |
− | आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया । | + | आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया ।<br /> |
14:48, 6 अगस्त 2010 का अवतरण
इश्क़ से तबियत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया,
दर्द की दवा पायी, दर्द बेदवा पाया ।
हाले-दिल नहीं मालूम लेकिन इस क़दर यानी,
हमने बारहा ढूँढा तुमने बारहा पाया ।
शोरे-पन्दे-नासेह ने ज़ख्म पर नामक छिड़का,
आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया ।