भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गिलहरियाँ / अशोक लव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (गिलहरियाँ/ अशोक लव का नाम बदलकर गिलहरियाँ / अशोक लव कर दिया गया है)
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
|KKRachna
+
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अशोक लव
 
|रचनाकार=अशोक लव
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान
+
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान / अशोक लव
}}  
+
}}
 +
{{KKCatKavita‎}}  
 
<poem>
 
<poem>
 
नन्ही गिलहरियाँ
 
नन्ही गिलहरियाँ
पंक्ति 20: पंक्ति 21:
 
झट से झपटती है
 
झट से झपटती है
 
चट से चढ़ जाती है पेड़ों पर गिलहरियाँ
 
चट से चढ़ जाती है पेड़ों पर गिलहरियाँ
खूब चिढ़ाती हैं
+
ख़ूब चिढ़ाती हैं
 
खिसियाई बिल्ली
 
खिसियाई बिल्ली
गर्दन नीचे किये खिसक जाती है
+
गर्दन नीचे किए खिसक जाती है
  
गिलहरियों कि ओर बढ़ा  देता हूँ
+
गिलहरियों की ओर बढ़ा  देता हूँ
 
मित्रता का हाथ   
 
मित्रता का हाथ   
 
उड़ेल  देना चाहता हूँ  
 
उड़ेल  देना चाहता हूँ  
सम्पूरण स्नेह
+
सम्पूर्ण स्नेह
 
बहुत भली होती हैं गिलहरियाँ
 
बहुत भली होती हैं गिलहरियाँ
 
पास आकर भाग जाती हैं गिलहरियाँ
 
पास आकर भाग जाती हैं गिलहरियाँ
 
</poem>
 
</poem>

23:26, 9 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

नन्ही गिलहरियाँ
पेड़ों से उतरकर
आ जाती हैं नीचे
उठा लेती हैं
छोटी छोटी उँगलियों से
बिखरे दाने

तुक-तुक काटती खाती हैं
टुकर-टुकर ताकती हैं
लजा जाती है
उनकी चंचलता के समक्ष
कौंधती बिजलियाँ

झाड़ियों में दुबकी बिल्ली
झट से झपटती है
चट से चढ़ जाती है पेड़ों पर गिलहरियाँ
ख़ूब चिढ़ाती हैं
खिसियाई बिल्ली
गर्दन नीचे किए खिसक जाती है

गिलहरियों की ओर बढ़ा देता हूँ
मित्रता का हाथ
उड़ेल देना चाहता हूँ
सम्पूर्ण स्नेह
बहुत भली होती हैं गिलहरियाँ
पास आकर भाग जाती हैं गिलहरियाँ