भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सम्मोहन के बदले अब लाचारी है / सर्वत एम जमाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna}} रचनाकार=सर्वत एम जमाल संग्रह= …)
(कोई अंतर नहीं)

15:47, 16 अगस्त 2010 का अवतरण

                  रचनाकार=सर्वत एम जमाल  
                  संग्रह=
                  }}

सम्मोहन के बदले अब लाचारी है
आंखों में जाने कैसी बीमारी है ।
अख़बारों में निविदा का विज्ञापन है
आवंटन क्रम में थोड़ा परिवर्तन है।

भाषा का मनुहार किसी खलनायक से
क्या होता है स्वाति पूछो चातक से
मण्डी की परिभाषा जबसे बदल गयी
व्यापारी भी दीख रहे हैं ग्राहक से
ठहरी हुई नदी के जल में कम्पन है
आवंटन --------------!

दस्तूरी दावत के खेल निराले थे
अभिनंदन-स्वागत के खेल निराले थे
ऊँच-नीच सब नारायण की इच्छा पर
अनुमानित लागत के खेल निराले थे
आज सभी की परछाई में कम्पन है
आवंटन ------------!!

तुमने सुना - सुनाया होगा बंटवारा
हमने तो छूकर देखा hai अंगारा
अफवाहों की जकडन में सारी दुनिया
अब किस-किस को राह दिखाए ध्रुवतारा
नव -युग में पाशार - काल का दर्शन है

आवंटन ----------------!!!