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"यूँ निकला सूरज / अशोक लव" के अवतरणों में अंतर
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12:40, 23 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
रात की काली चादर उतारकर
भागती भोर
सूरज से जा टकराई
बिखर गए सूरज के हाथों के रंग
छितरा गए आकाश पर
पर्वतों पर, झरनों पर नदी पर
नदी की लहेरों पर
धरती के वस्त्र पर, रंग
छू न सका सूरज भोर को
डांट न सका सूरज भोर को
और
आकाश पर निकल आया