"उसे तो कोई अकरब काटता है / आदिल रशीद" के अवतरणों में अंतर
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कुल्हाड़ा पेड़ को कब काटता है | कुल्हाड़ा पेड़ को कब काटता है | ||
− | जुदा जो गोश्त को नाख़ून से कर दे | + | जुदा जो गोश्त<ref>मांस</ref> को नाख़ून से कर दे |
वो मसलक<ref>धर्म</ref> हो के मशरब<ref>मज़हब</ref> काटता है | वो मसलक<ref>धर्म</ref> हो के मशरब<ref>मज़हब</ref> काटता है | ||
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अकीदा<ref>यकीन, विश्वास</ref> सारे करतब काटता है | अकीदा<ref>यकीन, विश्वास</ref> सारे करतब काटता है | ||
− | कही जाती नहीं हैं जो ज़ुबाँ से | + | कही जाती नहीं हैं जो ज़ुबाँ<ref>ज़ुबान</ref> से |
उन्ही बातों का मतलब काटता है | उन्ही बातों का मतलब काटता है | ||
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तू होता साथ तो कुछ बात होती | तू होता साथ तो कुछ बात होती | ||
− | अकेला हूँ तो मनसब<ref>ओहदा</ref> काटता है | + | अकेला हूँ तो मनसब<ref>ओहदा,पद</ref> काटता है |
जहाँ तरजीह<ref>प्राथमिकता</ref> देते हैं वफ़ा को | जहाँ तरजीह<ref>प्राथमिकता</ref> देते हैं वफ़ा को | ||
− | ज़माने को वो मकतब<ref>स्कूल</ref> काटता है | + | ज़माने को वो मकतब<ref>स्कूल,</ref> काटता है |
उसे तुम ख़ून भी अपना पिला दो | उसे तुम ख़ून भी अपना पिला दो | ||
− | मिले मौक़ा तो अकरब काटता है | + | मिले मौक़ा तो अकरब<ref>निकटतम व्यक्ति,</ref> काटता है |
ये माना साँप है ज़हरीला बेहद | ये माना साँप है ज़हरीला बेहद |
12:01, 27 अगस्त 2010 का अवतरण
उसे तो कोई अकरब<ref>निकटतम व्यक्ति</ref> काटता है
कुल्हाड़ा पेड़ को कब काटता है
जुदा जो गोश्त<ref>मांस</ref> को नाख़ून से कर दे
वो मसलक<ref>धर्म</ref> हो के मशरब<ref>मज़हब</ref> काटता है
बहकने का नहीं इमकान<ref>उम्मीद</ref> कोई
अकीदा<ref>यकीन, विश्वास</ref> सारे करतब काटता है
कही जाती नहीं हैं जो ज़ुबाँ<ref>ज़ुबान</ref> से
उन्ही बातों का मतलब काटता है
वो काटेगा नहीं है खौफ़ इसका
सितम ये है के बेढब काटता है
तू होता साथ तो कुछ बात होती
अकेला हूँ तो मनसब<ref>ओहदा,पद</ref> काटता है
जहाँ तरजीह<ref>प्राथमिकता</ref> देते हैं वफ़ा को
ज़माने को वो मकतब<ref>स्कूल,</ref> काटता है
उसे तुम ख़ून भी अपना पिला दो
मिले मौक़ा तो अकरब<ref>निकटतम व्यक्ति,</ref> काटता है
ये माना साँप है ज़हरीला बेहद
मगर वो जब दबे तब काटता है
अलिफ़,बे० ते० सिखाई जिस को आदिल
मेरी बातों को वो अब काटता है